फेसबुक से पूरी दुनिया को जोड़ने वाले फेसबुक के संस्थापक और सीईओ मार्क जुकरबर्ग की जिंदगी में एक समय आया जब वे फेसबुक को बेचने की सोच रहे थे । लेकिन बाबा के आशीर्वाद ने उन्हें आज अरबों का मालिक बना दिया।
मार्क जुकरबर्ग और कैंची धाम के बीच के संबंधों का खुलासा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सिलिकान वैली स्थित फेसबुक हेडक्वार्टर के दौरे के दौरान हुआ था। पीएम और जुकरबर्ग के बीच आध्यामिक वार्ता का दौर भी चला।
इस बातचीत के दौरान फेसबुक के सीईओ ने पीएम मोदी से अपनी भारत में यात्रा के बारे में बताया था। जुकरबर्ग ने कहा कि फेसबुक अच्छी स्थिति में नहीं था और वे काफी कोशिशों के बाद भी इसमें सुधार नहीं ला पा रहे थे।
मार्क उस समय बहुत निराश थे। हालत यहां तक आ पहुंची थी कि मार्क फेसबुक बेचने तक का मन बना चुके थे। तभी उनके गुरु और दिग्गज तकनीकी कंपनी एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब ने उन्हें भारत में जाकर एक मंदिर में कुछ वक्त शरण में जाने की सलाह दी थी।
स्टीव से ही जुकरबर्ग को उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित कैंचीधाम आश्रम में आने की प्रेरणा मिली। उसके बाद मार्क जुकरबर्ग कैंची आश्रम पहुंचे। जुकरबर्ग मानते हैं कि भारत में मिली अध्यात्मिक शांति के बाद उन्हें फेसबुक को नए मुकाम पर ले जाने की शक्ति मिली।
मार्क जुकरबर्ग ने वर्ष 2004 में फेसबुक शुरू किया था। कैंची मंदिर के प्रबंधक विनोद जोशी बताते हैं कि वर्ष 2007-08 में मार्क जुकरबर्ग कैंची मंदिर आए थे और उन्होंने यहां पूजा-अर्चना की थी।
जोशी ने बताया जुकरबर्ग एपल के सीईओ स्टीव जाब को अपना प्रेरणास्रोत मानते थे। स्टीव जाब भी वर्ष 1974 में कैंची धाम में आए थे। जाब के कहने पर ही मार्क ने वर्ष 2007-08 में कैंची मंदिर का रुख किया और तभी से वह बाबा के भक्त है । जय हो बाबा की